Tuesday, May 20, 2014

आँखों देखी

हाथ लागी लागी नयी धूप 
आज लागी लागी नयी धूप 

के दिखे धुली साफ़ मन की चदरिया 
बिना दाग सारी डगरिया 
दसो दिशा आज संवरिया 
लिए नया रूप 

आज लागी लागी नयी धूप 
हाथ लागी लागी नयी धूप 

नज़र मेरी आज उडी है 
बिना कोई डोर हां 
जहा पाँव पड़ते जाए 
नहीं कोई छोर हां 

सुनी सुनी बात यही है 
नदी पार कुछ भी नहीं है 
दिखी आज वो नगरी है 
कही थी कही थी जो दूर 

आज लागी लागी नयी धूप 
आज लागी लागी नयी धूप 

नदी एक ताक रही है 
मिले कोई नाव 
सुबह एक फूट रही है 
मिले कोई गाँव 

डगर वही पहचानी है 
खबर वही जगजानी है 
आँख देखी तो मानी है 
जादू ये अनूठ 

आज लागी लागी नयी धूप 
हाथ लागी लागी नयी धूप।  

- वरुण ग्रोवर